आज सावन मास की सोमवती अमावस्या, बन रहे 3 शुभ योग, इस सरल विधि से करें पूजा, जानें शुभ मुहूर्त

सावन के महीने में सोमवती अमावस्या आज यानी 17 जुलाई 2023 को मनाई जा रही है. इस दिन स्नान और दान का विशेष महत्व होता है. आज के इस आर्टिकल में जानेंगे स्नान दान का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि.

आज सावन मास की सोमवती अमावस्या, बन रहे 3 शुभ योग, इस सरल विधि से करें पूजा, जानें शुभ मुहूर्त

Somwati Amawasya Puja Vidhi : हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है. यदि यह अमावस्या सोमवार को पड़ती है तो इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है. इसे अमावस्या के नाम से जाना जाता है. सोमवती अमावस्या तिथि का शुभारंभ 16 जुलाई 2023 दिन रविवार रात 10:08 बजे से हो चुका है, जिसका समापन 18 जुलाई 2023 की मध्य रात्रि 12:01 बजे होगा. उदया तिथि के अनुसार सावन के महीने में सोमवती अमावस्या 17 जुलाई 2023 दिन सोमवार यानी आज मनाई जा रही है. अमावस्या तिथि पर स्नान और दान पुण्य का विशेष महत्व माना जाता है. आइए जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से स्नान दान का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि.

सोमवती अमावस्या पर स्नान दान का शुभ मुहूर्त

सनातन धर्म में प्राचीन काल से ही पवित्र नदी में स्नान और फिर जरूरतमंद व्यक्ति को दान देने की परंपरा चली आ रही है. इस दिन स्नान और दान को बेहद शुभ माना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार सोमवती अमावस्या के दिन स्नान और दान के लिए दो शुभ मुहूर्त बन रहे हैं. स्नान और दान का पहला शुभ मुहूर्त प्रातः काल 5:34 बजे से सुबह 7:17 बजे तक रहेगा.
वहीं दूसरा स्नान और दान का शुभ मुहूर्त सुबह 9:01 बजे से 10:44 बजे तक रहेगा. सोमवती अमावस्या पर दोपहर 12:00 बजे से 12:55 बजे तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा.

शुभ संयोग

हिंदू पंचांग के अनुसार सोमवती अमावस्या पर तीन तरह के शुभ संयोग का निर्माण हो रहा है. जिसके अनुसार पहला सावन मास का सोमवार, दूसरा सर्वार्थ सिद्धि योग और तीसरा रुद्राभिषेक योग का निर्माण हो रहा है. इस दिन जो लोग व्रत रखेंगे उनके लिए ये व्रत बेहद फलदाई माना जा रहा है.

सोमवती अमावस्या की पूजा विधि

सोमवती अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठ कर गंगा स्नान करें या स्नान के पानी में थोड़ा गंगाजल मिलाकर नहा लें.
अब तांबे के कलश में काले तिल और जल भरकर सूर्य देव को अर्घ्य दें. जल अर्पत करते समय सूर्य देव के मंत्रों का जाप करें.
भगवान शिव की विधिविधान से पूजा कर शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, फूल, भांग, धतूरा और काले तिल अर्पित करें.
अब भगवान शिव का मन ही मन ध्यान करते हुए मंत्रों का जाप करें.
अंत में शिवलिंग के सामने ‘शिव स्तोत्र’ का पाठ अवश्य करें.