कमांडर सुनील–सचिव एरिना सहित 7 नक्सलियों ने हथियार डाले; 37 लाख के इनामी समर्पित

इंसास–एसएलआर के साथ गरियाबंद पुलिस के सामने सरेंडर; बोले—घर लौटना चाहते हैं, डीआरजी में नहीं शामिल होंगे

कमांडर सुनील–सचिव एरिना सहित 7 नक्सलियों ने हथियार डाले; 37 लाख के इनामी समर्पित

गरियाबंद–धमतरी–नुआपाड़ा डिवीजन में सक्रिय उदंती एरिया कमेटी के सात कुख्यात नक्सलियों ने शनिवार को पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। इनमें एरिया कमांडर सुनील और सचिव एरिना भी शामिल हैं, जिन पर 8–8 लाख का इनाम था। सभी नक्सली हथियारों के साथ सामने आए और साफ कहा कि अब वे नक्सल संगठन छोड़कर सामान्य जीवन जीना चाहते हैं।

गरियाबंद। नक्सल मोर्चे पर सुरक्षा बलों को बड़ी सफलता मिली है। गरियाबंद–धमतरी–नुआपाड़ा डिवीजन के उदंती एरिया कमेटी से जुड़े सात नक्सलियों ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। सभी पर कुल 37 लाख रुपए का इनाम घोषित था। सरेंडर करने वालों में एरिया कमांडर सुनील और सचिव एरिना प्रमुख हैं, जिनकी तलाश लंबे समय से चल रही थी। दोनों पर 8–8 लाख रुपए का इनाम था। इनके साथ कमेटी सदस्य लुद्रो, विद्या, नंदिनी और मलेश (इनाम 5–5 लाख) तथा एक लाख की इनामी नक्सली कांती ने भी हथियार छोड़ दिए।

नक्सलियों ने अपने साथ एक एसएलआर, तीन इंसास राइफल और एक सिंगल शॉट बंदूक पुलिस के हवाले की। गरियाबंद पुलिस के सामने हुए इस सामूहिक आत्मसमर्पण में मीडिया ने भी अहम भूमिका निभाई। जानकारी के अनुसार, नक्सलियों ने पहले मीडिया को संपर्क किया और लगभग आधे घंटे की बातचीत के बाद अपनी इच्छा जाहिर की। इसी दौरान कमेटी सदस्य लुद्रो की बात एसपी निखिल राखेचा से कराई गई, जिन्होंने सुरक्षित सरेंडर का आश्वासन दिया।

शुरुआत में सुनील और एरिना किसी तरह पुलिस तक पहुंच गए थे, जबकि अन्य पांच नक्सली संपर्क से बाहर थे। बाद में एसपी के नंबर पर कॉल करने के बावजूद वे मीडिया की मौजूदगी में ही आत्मसमर्पण करना चाहते थे। अंततः पुलिस की अपील और भरोसे के बाद पूरी टीम जंगल से मेन रोड तक लाई गई।

आत्मसमर्पण करने वाली विद्या ने बताया कि पूर्व सेंट्रल कमेटी सदस्य रूपेश दादा की अपील के बाद उन्होंने हथियार छोड़ने का फैसला लिया। वहीं रुद्र ने कहा कि खंडसारा मुठभेड़ के बाद उनकी टीम बिखर गई थी और साथियों से जुड़ने में तीन महीने लग गए। इस दौरान कई बड़े नक्सली नेताओं के मारे जाने से मनोबल टूट गया।

याद दिला दें कि 17 अक्टूबर को जगदलपुर में 210 नक्सलियों ने सरेंडर किया था, जिनमें 1 करोड़ का इनामी सेंट्रल कमेटी मेंबर रूपेश भी शामिल था। इसके बाद नक्सली संगठन ने पर्चा जारी कर उन्हें गद्दार बताया, जिस पर रूपेश ने वीडियो संदेश में जवाब दिया और बाकी साथियों से भी आत्मसमर्पण की अपील की।

इधर, डेढ़ करोड़ के इनामी नक्सली मोजुल्ला वेणुगोपाल राव उर्फ भूपति ने भी महाराष्ट्र में सरेंडर करने के बाद कहा था कि बदली परिस्थितियों में हथियारबंद संघर्ष ने उन्हें जनता से दूर कर दिया है और अपने कई साथियों को खोने के बाद सामान्य जीवन में लौटना ही बेहतर विकल्प है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अगस्त और दिसंबर 2024 में छत्तीसगढ़ दौरे पर आए थे। उन्होंने साफ चेतावनी दी थी कि नक्सली हिंसा बंद कर हथियार डाल दें, क्योंकि 31 मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद समाप्त करने का लक्ष्य तय किया गया है। शाह की इस घोषणा के बाद बस्तर में नक्सल विरोधी अभियान और तेज हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप कई बड़े नक्सली सरेंडर या मारे जा चुके हैं।