खास समाचार : AI से बना 'बंदर' छा गया सोशल मीडिया पर, छत्तीसगढ़ बना वर्चुअल वानर का नया हॉटस्पॉट

खेतों से लेकर कैमरे तक, गांव की बोली और हावभाव में बोलते वर्चुअल पात्र

खास समाचार : AI से बना 'बंदर' छा गया सोशल मीडिया पर, छत्तीसगढ़ बना वर्चुअल वानर का नया हॉटस्पॉट
  • ‘मंकेश’, ‘बबलू’ जैसे AI किरदार बना रहे लाखों व्यूज़ और फॉलोअर्स
  • लोक-परंपरा से जुड़ाव और हाई-एनर्जी प्रस्तुति बना रही ट्रेंडिंग सामग्री
  • विशेषज्ञों की चेतावनी: गलत सूचना, गोपनीयता और रोजगार पर पड़ सकता है असर

AI तकनीक से बने वर्चुअल पात्रों की एक नई पीढ़ी सोशल मीडिया पर धूम मचा रही है। 'AI बंदर' के रूप में मशहूर ये पात्र अब छत्तीसगढ़ समेत पूरे भारत में वायरल हो रहे हैं। खेतों में काम करते, रैप करते या रिपोर्टिंग करते हुए नजर आने वाले ये डिजिटल बंदर गांव-जवार की भाषा और भाव से दर्शकों का दिल जीत रहे हैं। लेकिन तकनीकी विशेषज्ञ इससे जुड़े खतरे भी गिना रहे हैं।

रायपुर। सोशल मीडिया पर इन दिनों “AI बंदर” के किरदार चर्चा में हैं — जिनके नाम हैं मंकेश, डोगेश और बबलू। ये किरदार पूरी तरह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और एनीमेशन टूल्स की मदद से तैयार किए गए हैं। हारदोई (उत्तर प्रदेश) के आकाश जैसे कंटेंट क्रिएटर्स ने Google Vivo 3, Runway ML, Pika जैसे उन्नत AI टूल्स का इस्तेमाल कर इन पात्रों को गढ़ा है।

इन वर्चुअल पात्रों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये देहाती लहजे, गांव की पृष्ठभूमि और स्थानीय संदर्भों से सजी कहानियों में दर्शकों से जुड़ते हैं। छत्तीसगढ़ में विशेष रूप से इनका कंटेंट खेतों, बाजारों, मंदिरों और ग्रामीण लोक जीवन के इर्द-गिर्द बुना जा रहा है — जिससे यह न केवल मनोरंजन कर रहा है, बल्कि वायरल भी हो रहा है।

“Vlogger Babloo AI” और “Tekno Vlogs” जैसे यूट्यूब चैनल इन पात्रों को प्रस्तुत कर रहे हैं, जिनके फॉलोअर्स की संख्या 77 हजार के पार पहुंच चुकी है और व्यूज 77 मिलियन से अधिक हैं।

बी.टेक की पढ़ाई छोड़ चुके आकाश ने खुद AI सीखा और मात्र कंप्यूटर और इंटरनेट की मदद से इन पात्रों को बनाया। उनका मानना है कि “कहानी अगर दमदार हो, तो तकनीक बस एक साधन है।”

 संभावित खतरे और विशेषज्ञों की राय:
???? गलत सूचना का खतरा:
AI बंदर जैसे पात्रों के ज़रिए अगर फर्जी खबरें या राजनीतिक बयान प्रसारित किए जाएं, तो यह misinformation और deepfake जैसी समस्याओं को जन्म दे सकते हैं।

???? रोजगार पर असर:
जब AI पात्र रिपोर्टिंग, मिमिक्री, ऐक्टिंग तक करने लगें — तो लोकल व्लॉगर, रंगमंच कलाकार और वीडियो जर्नलिस्ट की नौकरियों पर प्रभाव पड़ सकता है।

???? निजता का उल्लंघन:
इन पात्रों को तैयार करने के लिए असली लोगों की आवाज़ें, चेहरे और व्यवहार की नकल ली जा सकती है — जिससे डेटा सुरक्षा और गोपनीयता के गंभीर सवाल उठते हैं।

???? सांस्कृतिक और धार्मिक असंवेदनशीलता:
AI बंदरों को कभी पुजारी, कभी नेता या रिपोर्टर बनाकर मज़ाक उड़ाना धार्मिक या सांस्कृतिक भावनाओं को ठेस पहुंचा सकता है, जिससे विवाद खड़े हो सकते हैं।

???? मानसिक स्वास्थ्य और आभासी लत:
विशेषज्ञ चेताते हैं कि इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर AI पात्रों के ज़रिए मनोरंजन की लत लोगों को वास्तविक जीवन से काट सकती है, जिससे असली संबंध कमजोर और वर्चुअल दुनिया मजबूत हो जाती है।