दाऊ रामचंद्र देशमुख की जयंती पर सुनीता आर्ट गैलरी में लोक कलाकारों का भावपूर्ण संगम
लोककला का उत्सव – कला ऋषि की स्मृतियों में डूबा सांस्कृतिक समागम
भिलाई के प्रगति नगर रिसाली स्थित सुनीता आर्ट गैलरी एवं म्यूज़ियम में शनिवार, 25 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ की लोककला चेतना के प्रेरक दाऊ रामचंद्र देशमुख की जयंती पर एक भव्य और भावपूर्ण सांस्कृतिक समागम आयोजित किया गया। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ लोक कलाकारों ने दाऊ जी के योगदान और उनके साथ बिताए गए अनुभवों को साझा कर यादों का संगम प्रस्तुत किया।
भिलाई। सुनीता आर्ट गैलरी एवं म्यूज़ियम में 25 अक्टूबर को दाऊ रामचंद्र देशमुख की जयंती पर एक गरिमामय और भावपूर्ण सांस्कृतिक आयोजन हुआ। इस समागम में छत्तीसगढ़ के लोककला के प्रेरक दाऊ जी की यादों को जीवंत करते हुए चंदैनी, गोंदा और कारी से जुड़े वरिष्ठ कलाकारों ने अपने अनुभव साझा किए।
कार्यक्रम का शुभारंभ आर्ट गैलरी की संस्थापक डॉ. सुनीता वर्मा के स्वागत उद्बोधन से हुआ। उन्होंने कहा, “आज का यह आत्मीय और भावनात्मक आयोजन मेरी गैलरी के लिए अत्यंत प्रेरणादायक है। वरिष्ठ कलाकारों का आशीर्वाद हमें नई ऊर्जा देगा।”
इसके पश्चात् प्रो. सुरेश देशमुख ने दाऊ जी की छत्तीसगढ़ की लोककला को जन-जन तक पहुँचाने और समाज में बदलाव लाने वाली भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि “वो कलाकार जो हमारे बीच नहीं रहे, उनकी स्मृतियों को संरक्षित करना हमारी जिम्मेदारी है। यह आयोजन इसी प्रयास का हिस्सा है।”
कार्यक्रम में उपस्थित सम्मानित कलाकारों में प्रमुख थे – प्रो. शैलजा ठाकुर, अनुराग ठाकुर चौहान, साधना यादव, कविता वासनिक, संतोष झाँझी, मदन शर्मा, विजय मिश्रा, प्रमोद यादव, विनायक अग्रवाल, कृष्ण कुमार चौबे, अग्नू, अरुण निगम, विजय वर्तमान, डॉ. मीनाक्षी दुबे, विवेक वासनिक। अन्य सम्मानित सदस्यों में डॉ. रत्ना वर्मा, डॉ. तरूण नायक, श्री राजेंद्र वर्मा, आयुष चंद्रवंशी, धनंजय शामिल रहे।
भोजनोपरांत सभी वरिष्ठ कलाकारों को शाल और श्रीफल देकर सम्मानित किया गया। सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक गैलरी परिसर में लोककला की महक और दाऊ जी की यादें हर जगह महसूस की गईं।
इस आयोजन ने न केवल दाऊ रामचंद्र देशमुख की कला यात्रा को यादगार बनाया, बल्कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित रखने का संदेश भी दिया।
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