दो माह से वेतन अटका, NHM कर्मचारियों में हाहाकार: 16 हजार कर्मी आर्थिक संकट में
राज्यभर में बढ़ा आक्रोश, संघ ने तत्काल भुगतान और बहाली के आदेश की मांग उठाई
छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के करीब 16 हजार संविदा कर्मचारी पिछले दो महीनों से वेतन न मिलने के कारण गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। दैनिक खर्चों से लेकर बच्चों की फीस और किराए तक की जरूरतें पूरी न होने से कर्मचारियों में नाराजगी बढ़ती जा रही है। इसी बीच विभागीय फेरबदल में नए संचालक के रूप में IAS संजीव कुमार झा की नियुक्ति से कर्मचारियों में कामकाज में तेजी और वेतन भुगतान की उम्मीदें जगी हैं।
रायपुर। छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सेवाओं के संचालन में अहम भूमिका निभाने वाले करीब 16 हजार NHM संविदा कर्मचारी इन दिनों वेतन रुके रहने से परेशान हैं। पिछले दो महीनों से सैलरी न मिलने पर रायपुर जिला इकाई ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर तत्काल भुगतान की मांग उठाई है।
कर्मी संघ का कहना है कि राज्यभर में तैनात NHM स्टाफ लगातार जनता को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करा रहा है, लेकिन वेतन रोके जाने से कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई है। कर्मचारियों ने बताया कि स्कूल फीस, किराया, होम लोन की किस्तें, घरेलू खर्च और दवाइयों जैसी जरूरतों को पूरा करना मुश्किल हो गया है। कई कर्मचारी मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं।
इसी बीच 27 नवंबर को स्वास्थ्य विभाग में बड़ा प्रशासनिक बदलाव हुआ है। डॉ. प्रियंका शुक्ला का ट्रांसफर कर दिया गया है और अब विभाग की कमान 2011 बैच के IAS संजीव कुमार झा के हाथों में है। कर्मचारियों को उम्मीद है कि नए संचालक के कार्यभार संभालते ही लंबित वेतन भुगतान में तेजी आएगी।
कर्मी संघ ने यह भी आरोप लगाया कि हाल ही में हुए NHM आंदोलन के दौरान जो कर्मचारी ड्यूटी पर थे, उनकी सेवा बहाली अभी तक नहीं की गई है, जबकि स्वास्थ्य मंत्री और जनप्रतिनिधियों ने इस संबंध में जल्द समाधान का भरोसा दिया था।
ज्ञापन में मांग की गई है कि दो माह से लंबित वेतन तुरंत जारी किया जाए और आंदोलन के दौरान सेवा देने वाले कर्मचारियों की बहाली शीघ्र सुनिश्चित की जाए। संघ का कहना है कि लगातार देरी से कर्मचारियों का मनोबल टूट रहा है और स्वास्थ्य सेवाओं पर भी इसका असर पड़ सकता है।
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