बच्ची की मौत पर अस्पताल में जमकर हंगामा:परिजनों ने कहा सरकारी हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने भेजा और ले ली मासूम की जान

बच्ची की मौत पर अस्पताल में जमकर हंगामा:परिजनों ने कहा सरकारी हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने भेजा और ले ली मासूम की जान

दुर्ग जिले में सरकारी और निजी हॉस्पिटल की सांठगांठ से इलाज के नाम पर गरीबों को लूटने का नया खेल चल रहा है। इसका खुलासा तब हुआ जब एक बच्ची की जान चली गई। परिजनों का आरोप है कि उन्हें जिला अस्पताल से कलर्स हॉस्पिटल दुर्ग रेफर किया गया था। वहां डॉक्टरों ने उनको उनके बच्चे से मिलने नहीं दिया। बच्ची की तबीयत में सुधार की बात कहकर इलाज का पैसा लेते रहे और फिर शुक्रवार को उसे मृत घोषित कर दिया।

बच्ची के परिजन शिकायत करने पहुंचे पद्मनाभपुर थाना

नूतन निर्मलकर ने बताया कि उनकी दो साल की भतीजी परिधि निर्मलकर को कलर्स हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। पहले हम उसे जिला अस्पताल लेकर गए थे। वहां के डॉक्टरों ने कलर्स हॉस्पिटल का पता दिया और कहा कि आपका बच्चा वहीं पर ठीक हो जाएगा। इसके बाद उसी डॉक्टर ने एंबुलेंस को बुलवा लिया और परिजनों को बोला कि आपके बच्चे का इलाज आयुष्मान कार्ड से वहां हो जाएगा। परिजन जब कलर्स हॉस्पिटल दुर्ग पहुंचे तो उसे आईसीयू में भर्ती किया गया। 4 दिन तक परिजनों को बच्ची से मिलने नहीं दिया गया। हर बार यही कहा जाता था कि बच्ची की सेहत में सुधार है।

आयुष्मान से इलाज फिर भी परिजनों से लिया गया पैसा

नूतन निर्मलकर ने बताया कि परिधि को 4 दिन तक कलर्स हॉस्पिटल में भर्ती रखा गया। इस दौरान एक भी बार परिजनों को बच्ची से नहीं मिलने दिया गया। कांच के बार खड़ा करके दूर से बच्ची को दिखा दिया जाता था और यह कहा जाता था कि बच्ची ठीक हो रही है। जल्द डिस्चार्ज कर दी जाएगी। इसके बाद हॉस्पिटल का स्टॉफ उनसे अलग से रुपए भी कई बार करके जमा करता गया। दवा का पैसा भी अलग से लिया गया। भाई ने कर्ज लेकर इलाज का पैसा दिया, लेकिन शुक्रवार को अचानक बोला गया कि बच्चे की तबीयत अधिक खराब हो गई है और वेंटिलेटर में डाला गया है। इसके बाद उसे मृत घोषित कर दिया गया।

हॉस्पिटल प्रबंधन ने तैनात किए गेट पर बाउंसर और गनमैन

कलर्स हॉस्पिटल के मैनेजर ने कहा सहमति से हुआ है इलाज

कलर्स हॉस्पिटल के मैनेजर आरिफ खान का कहना है कि दो साल की परिधि निर्मलकर को 17 सितंबर की शाम को हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था। वो दो तीन हॉस्पिटल से इलाज के बात यहां आई थी। बच्ची का यहां इलाज शुरू किया गया। परिजनों को बताया भी गया था कि बच्ची की कंडीशन सही नहीं है। बच्ची के शरीर में 2 ग्राम ब्लड था। वजन 6 किलोग्राम था। संक्रमण की समस्या थी। परिजनों की सहमति से ही इलाज शुरू किया गया। यहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।

परिजनों ने किया हंगामा तो बुला लिया बाउंसर

बच्ची की मौत के बाद परिजनों ने जब हंगामा किया तो हॉस्पिटल प्रबंधन ने दो तीन बाउंसर और एक गनमैन को बुला लिया। इसके बाद बल प्रयोग करके परिजनों को हॉस्पिटल से बाहर कर दिया गया। इसके बाद परिजन पद्मनाभपुर थाने पहुंचे और हॉस्पिटल प्रबंधन के खिलाफ इलाज में लापरवाही की शिकायत दर्ज कराई। मामला बढ़ने पर हॉस्पिटल प्रबंधन ने परिजनों पर तोड़फोड़ का आरोप लगाया और पुलिस से सुरक्षा की गुहार लगाई। हॉस्पिटल प्रबंधन ने पद्मनाभपुर पुलिस को पत्र लिखकर सुरक्षा की मांग की है।