सुप्रीम कोर्ट में EVM-VVPAT के 100% मिलान की मांग खारिज:बैलट पेपर से चुनाव नहीं होंगे; पर कैंडिडेट की शिकायत पर EVM जांच होगी

सुप्रीम कोर्ट ने बैलट पेपर से चुनाव कराने और इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन (EVM) और VVPAT स्लिप की 100% क्रॉस-चेकिंग कराने से जुड़ी याचिकाएं खारिज कर दीं। लेकिन एक बड़ा फैसला भी दिया। कोर्ट ने EVM के इस्तेमाल के 42 साल के इतिहास में पहली बार जांच का रास्ता खोल दिया। सुनवाई शुक्रवार को हुई और बेंच जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस संजीव खन्ना की थी। दोनों ने एकमत से फैसला सुनाया।
(देश में 1982 में पहली बार केरल में EVM से आम चुनाव हुए थे। सुप्रीम कोर्ट में चुनौती के बाद इन्हें रद्द कर दिया गया था।) इस केस में 3 पक्ष शामिल थे…एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म यानी याचिकाकर्ता, चुनाव आयोग, सरकार। केस चुनाव और मतदान से जुड़ा है तो राजनीतिक पार्टियां और आम जनता भी जुड़ी हुई है।
केस और फैसले के असर को इन सभी पक्षों के नजरिए से समझते हैं...
1. आम आदमी यानी मतदाता
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से आम आदमी की वोट देने की प्रोसेस में कोई बदलाव नहीं होगा। वोटर पोलिंग बूथ जाएगा। अंगुली पर स्याही लगेगी। चुनाव अधिकारी कंट्रोल यूनिट का बटन दबाएगा। वोटर बैलट यूनिट में कैंडिडेट के नाम के सामने का बटन दबाएगा और फिर कुछ सेकेंड तक वीवीपैट की लाइट में अपनी पर्ची देख सकेगा।
2. राजनीतिक पार्टियां और कैंडिडेट्स
फैसले के बाद राजनीतिक पार्टियां और कैंडिडेट्स के लिए एक रास्ता खुला है। वे EVM की जांच करवा सकेंगे। इसे नीचे दिए पॉइंट्स से समझिए। दूसरे या तीसरे नंबर पर आने वाले किसी कैंडिडेट को शक है तो वह रिजल्ट घोषित होने के 7 दिन के भीतर शिकायत कर सकता है। शिकायत के बाद EVM बनाने वाली कंपनी के इंजीनियर्स इसकी जांच करेंगे।
किसी भी लोकसभा क्षेत्र में शामिल विधानसभा क्षेत्रवार की टोटल EVM's में से 5% मशीनों की जांच हो सकेगी। इन 5% EVM's को शिकायत करने वाला प्रत्याशी या उसका प्रतिनिधि चुनेगा। इस जांच का खर्च कैंडिडेट को ही उठाना होगा। चुनाव आयोग ने बताया- जांच की समय सीमा और खर्च को लेकर जल्द ही जानकारी शेयर की जाएगी।
जांच के बाद अगर ये साबित होता है कि EVM से छेड़छाड़ की गई है तो शिकायत करने वाले कैंडिडेट को जांच का पूरा खर्च लौटा दिया जाएगा।
3. याचिकाकर्ता
उनकी सभी याचिकाएं खारिज हो गईं, लेकिन EVM की जांच के आदेश से थोड़ी राहत मिली। ADR के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कई निर्देश दिए, जिसमें कैंडिडेट्स के लिए शिकायत और फिर जांच की बात भी है। इसके बाद सभी याचिकाएं खारिज कर दी गईं।
4. चुनाव आयोग
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को 3 निर्देश दिए हैं।
1. सिंबल लोडिंग प्रक्रिया के पूरा होने के बाद इस यूनिट को सील कर दिया जाए। सील की गई यूनिट को 45 दिन के लिए स्ट्रॉन्ग रूम में स्टोर किया जाए।
2. इलेक्ट्रॉनिक मशीन से पेपर स्लिप की गिनती के सुझाव का परीक्षण कीजिए।
3. यह भी देखिए कि क्या चुनाव निशान के अलावा हर पार्टी के लिए बारकोड भी हो सकता है।
5. सरकार
सुप्रीम कोर्ट के फैसले में सरकार के लिए कोई निर्देश नहीं है।