होलिका दहन के साथ होली शुरू:50 किलो इलायची, लौंग, कपूर के साथ जली आर्युवेदिक होली, रायपुर से बस्तर तक जलाई गई नकारात्मकता
रायपुर में 1000 से अधिक जगहों होलिका दहन हुआ। शहर के पुरानी बस्ती सदर बाजार इलाके की सबसे प्राचीन होलिका जलाई गई । कई 100 सालों से छत्तीसगढ़ की राजधानी में यह परंपरा जारी है। इन इलाकों की होली में कई जनप्रतिनिधी बड़े व्यापारी शामिल होते हैं। मंत्री भूपेश बघेल की मौजूदगी में शहर के सुभाष स्टेडियम में होली मिलन का खास कार्यक्रम भी आयोजित किया गया था ।

रायपुर. छत्तीसगढ़ में जगह-जगह होलिका दहन हुआ। रायपुर से बस्तर तक होली की खुमारी देखते ही बन रही है । छत्तीसगढ़ की स्थानीय परंपराओं के साथ होलिका का दहन किया गया । रायपुर में 1000 से अधिक जगहों होलिका दहन हुआ। शहर के पुरानी बस्ती सदर बाजार इलाके की सबसे प्राचीन होलिका जलाई गई । कई 100 सालों से छत्तीसगढ़ की राजधानी में यह परंपरा जारी है। इन इलाकों की होली में कई जनप्रतिनिधी बड़े व्यापारी शामिल होते हैं। मंत्री भूपेश बघेल की मौजूदगी में शहर के सुभाष स्टेडियम में होली मिलन का खास कार्यक्रम भी आयोजित किया गया था ।
यहां जली आयुर्वेदिक होली
छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में एक आयुर्वेदिक होली भी जलाई गई । 100 सालों से यहां आयुर्वेदिक होली जलाने का इतिहास रहा है । स्थानीय लोगों ने बताया कि गंजपारा इलाके में 50 किलो लोंग 50 किलो कपूर इतने ही इलायची का इस्तेमाल होता है । 5100 कंडे जलाए जाते हैं, लोगों की मान्यता है कि इन तत्वों की होलिका जलने से इलाके में एक अच्छी सुगंध फैलती है और क्योंकि कपूर इलाइची लोंग में आयुर्वेदिक गुण पाए गए हैं इसीलिए इस होलिका को आयुर्वेदिक होली का कहा जाता है।
बस्तर की अनूठी परंपरा
बस्तर जिले के माड़पाल इलाके में बस्तर राजपरिवार के सदस्य कमल चंद्र भंजदेव ने होलिका दहन की । 600 सालों से यह परंपरा चली आ रही है। मान्यता है कि बस्तर में सबसे पहले यही होलिका दहन होता है। इसके बाद अन्य क्षेत्रों में होलिका जलाई जाती है । दंतेवाड़ा के दंतेश्वरी मंदिर में भी होली का माहौल देखने को मिला, लोगों ने एक दूसरे को रंग लगाकर बधाइयां दी। दंतेश्वरी मंदिर के सामने भी सामूहिक रूप से होलिका दहन किया गया।
बिलासपुर में शुरू हुआ रंगोत्सव
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर समेत प्रदेश भर में होलिका दहन के साथ रंगोत्सव शुरू हो गया है। मंगलवार की शाम होलिका दहन के साथ ही रंग पर्व होली की शुरुआत हो गई है। जगह जगह फाग महोत्सव के साथ रंग गुलाल उड़ाते लोग मस्ती में सराबोर नजर आने लगे हैं। विधायक शैलेष पांडेय भी फाग महोत्सव में रंग से सराबोर होकर होली
होली से जुड़ी धार्मिक कथा
होलिका को भी भगवान ब्रह्मा से एक वरदान मिला था। यह कि उसे अग्नि नहीं जला सकती। हिरण्यकश्यप ने होलिका को कहा कि वह प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए, ताकि प्रह्लाद भाग न सके और वह उसी अग्नि में जलकर ख़ाक हो जाए। होलिका ने किया तो ऐसा ही, किंतु वह ख़ुद भस्म हो गई और प्रह्लाद बच गया।की मस्ती में थिरकते नजर आए। बिलासपुर में अग्रवाल समाज की महिलाएं पिछले 66 साल से होलिका दहन कर रही हैं।
भारत के इस शहर में होलिका जलने पर मातम
यूपी के झांसी जिले से 80 किलोमीटर दूर पड़ता है एरच कस्बा। मान्यता है कि यहीं वो स्थान है, जहां होलिका प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर जलती चिता में बैठ गई थी। एरच को प्रह्लाद नगरी के नाम से जाना जाता है। यहां होली पर प्रह्लाद के साथ-साथ मां होलिका की भी जय बोली जाती है। ऐसी मान्यता है कि जो होली पर यहां आकर होलिका कुंड में अपनी नाक रगड़ता है, उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है। एरच के बुजुर्गों का कहना है कि होलिका को यहां बेटी का दर्जा दिया गया है। इसी वजह से पहले कस्बे में होली जलने से 2 दिन तक मातम मनाया जाता था। लेकिन आज ये परंपरा कुछ घरों तक ही सीमित रह गई है।
होलिका दहन पूजा विधि
होलिका दहन की पूजा में सबसे पहले गणपति जी का स्मरण करें। फिर होलिका पर गंगाजल छिड़कें। अब हल्दी, कुमकुम, अक्षत, गुलाल, नारियल, उपले की माला, फूल, गेहूं की बालियां होलिका को अर्पित करें। सभी सामग्री मंत्रोंच्चार के साथ चढ़ाएं। प्रह्लाद, नृरसिंह भगवान के मंत्रों का जाप करें. फिर होलिका में जल चढ़ाते हुए 7 बार परिक्रमा करें. कहते हैं होलिका की पूजा पुरुषों को करना चाहिए।