टाइगर की दस्तक से मची हलचल, वन विभाग की चुनौतियां हुई दोहरी, पैदल चलकर लोकेशन ट्रेस कर रही टीम
कैमरा लगाकर लोकेशन चेक किया जा रहा है, वहीं विभाग के कर्मचारी प्रतिदिन अलग-अलग दो शिफ्टों में जंगल के अलग-अलग हिस्सों में घूम घूमकर टाइगर का फुट मार्क और टाईगर की लोकेशन को तलाश रहे हैं।
बारनवापारा अभयारण्य में टाइगर के नजर आने के बाद वन्य प्राणियों की सुरक्षा को लेकर वन विभाग की सक्रियता बढ़ गई है। बीते कुछ दिनों से बारनवापारा रेंज, बल्दाकछार रेंड के लगभग 70-80 कर्मचारियों की अलग-अलग शिफ्टों में सर्चिंग अभियान जारी है। उनके समक्ष दोहरी चुनौती है, पहला यह कि टाइगर को शिकारियों से सुरक्षित रखना और दूसरी ओर यह भी देखना कहीं, टाइगर-मनुष्य का आमना-सामना न हो जाए। इसके चलते वन विभाग एक ओर कैमरा लगाकर लोकेशन चेक किया जा रहा है, वहीं विभाग के कर्मचारी प्रतिदिन अलग-अलग दो शिफ्टों में जंगल के अलग-अलग हिस्सों में घूम घूमकर टाइगर का फुट मार्क और टाईगर की लोकेशन को तलाश रहे हैं।
बीते सप्ताह नजर आया बाघ दो दिनों से नजर नहीं आया है। परंतु उसके सिंघनगढ़ किला के आसपास रानीखोल पहाड़ी के पास फुट मार्क मिल रहे हैं, जिससे स्पष्ट है कि टाइगर बलौदा बाजार वन मण्डल में ही है। प्रतिदिन 15 से 20 किमी पैदल चलकर टीम के सदस्यों द्वारा टाइगर का लोकेशन को ट्रेस करने में जुटे हुए हैं।
फुट मार्ग की तलाश
एक टीम में 7 से 8 लोग हैं, जो सुबह 5 बजे से दोपहर 11 बजे तक और दोपहर 3 बजे से रात्रि 8 बजे तक सर्चिंग कर रहे हैं। इस दौरान प्रत्येक टीम मेंबर लगभग 12 से 15 किमी प्रतिदिन पैदल चल रहे हैं। इस दौरान टाइगर के फुट मार्ग को बारिकी से तलाश किया जा रहा है, ताकि इन्ही फुटमार्क के आधार पर टाईगर की मुवमेंट का अंदाजा लगाया जा सके। बरबसपुर तथा बारनवापारा मार्ग के दोनों ही ओर कैमरा भी लगाया गया है। अब तक इसी इलाके में ही बाघ को सबसे अधिक बार देखा गया है। मंगलवार को भी इसी इलाके में बाघ के फुट मार्क मिले हैं।
लिहाजा वन विभाग के अधिकारियों को उम्मीद है कि यदि इसी इलाके में बाघ होगा तो वह अवश्य ही कैमरे में नजर आएगा। बाघ के नजर आने के बाद उसकी लोकेशन को लगातार ट्रेस किया जा रहा है। मंगलवार शाम को बाघ को रानी खोल पहाड़ियों तथा सिंघनगढ़ किला के आसपास कक्ष क्रमांक 84, 85 के बीच देखा गया है। टाइगर के फुट मार्क भी इसी ओर मिले हैं, परंतु बुधवार, गुरूवार को टाइगर नजर नहीं आया है।
कसडोल एसडीओ अनिल वर्मा ने पत्रिका से चर्चा के दौरान बताया कि टाइगर की लोकेशन को ट्रेस करने के लिए बारनवापारा तथा बल्दाकछार रेंज के लगभग 70 से 80 कर्मचारियों, चौकीदार की ड्यूटी लगाई गई है। वहीं वन विकास निगम के भी 20 से 25 कर्मचारी भी सर्चिंग अभियान में जुटे हुए हैं। यानि लगभग 100 से अधिक कर्मचारियों की टीम टाइगर की सर्चिंग अभियान में जुटी हुई है।
बलौदाबाजार जिले के बारनवापारा अभयारण्य में फिर से एक बार जंगल के राजा टाइगर यानि बाघ की दस्तक से हलचल मची हुई है। बीते वर्ष मार्च 2024 में लगभग तीस सालों के बाद टाइगर की दहाड़ सुनाई दी थी। जिसके बाद लगभग पौने दो वर्ष बाद फिर से एक बार अभयारण्य में टाइगर की दस्तक हुई है। वन विकास निगम ने हाल ही में बाघ की पुष्टि तब की है जब निगम क्षेत्र के फील्ड टीम ने जंगल के भीतर गश्त की। गश्त के दौरान उन्हें कुछ जानवरों के ताजे पंजे के निशान नजर आए।
शुरू में तो इसे सामान्य जानवर के निशान समझा गया, परंतु जब पंजों के निशान की गहराई, आकार आदि की पड़ताल की गई तो यह परिपक्व बाघ का निशान मिला। बाद में कुछ ग्रामीणों, गाईड द्वारा भी टाइगर को देखे जाने की पुष्टि हुई है। जानकारी के अनुसार बीते शनिवार से सोमवार के बीच नजर आया टाइगर लगभग ढाई वर्ष का नर बाघ है जो संभवतया पड़ोसी राज्य के जंगल से यहां तक पहुंचा है। टाइगर को देखे जाने की पुष्टि होने के बाद वन विभाग अलर्ट मोड में आ गया है। जिसके बाद वन विभाग द्वारा अलग अलग टीम बनाकर टाइगर की लोकेशन की तलाश की जा रही है।
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