चैतन्य अवस्था में शंकराचार्य अस्पताल में पहली बार हुआ स्तन ऑपरेशन, मरीज रही होश में

थोरेसिक एपिड्यूरल तकनीक से 46 वर्षीय महिला का सफल ऑपरेशन, हृदय संबंधी जोखिम के बावजूद डॉक्टरों ने रचा इतिहास

चैतन्य अवस्था में शंकराचार्य अस्पताल में पहली बार हुआ स्तन ऑपरेशन, मरीज रही होश में

शंकराचार्य अस्पताल में चिकित्सा विज्ञान ने एक नया कीर्तिमान रचते हुए पहली बार बिना बेहोशी के स्तन का बड़ा ऑपरेशन सफलतापूर्वक संपन्न किया। 46 वर्षीय महिला मरीज की सर्जरी के दौरान वह पूरी तरह चैतन्य अवस्था में रही और उसे किसी प्रकार का दर्द महसूस नहीं हुआ। यह उपलब्धि थोरासिक एपिड्यूरल एनस्थीसिया तकनीक के माध्यम से संभव हो सकी।

भिलाई। शंकराचार्य अस्पताल के सर्जरी विभाग में चिकित्सा क्षेत्र की एक अनूठी उपलब्धि दर्ज की गई है। अस्पताल में 46 वर्षीय महिला (परिवर्तित नाम – मुन्नी बाई) के दाहिने स्तन में गांठ की शिकायत पर एडमिट किया गया था। एफएनएसी जांच के बाद विशेषज्ञों ने Modified Radical Mastectomy (MRM) सर्जरी का निर्णय लिया।

मरीज को कुछ हृदय संबंधी समस्याएँ होने के कारण सामान्य बेहोशी देना जोखिम भरा था। निश्चेतना विभाग के विशेषज्ञों ने थोरेसिक एपिड्यूरल एनेस्थीसिया पद्धति का चयन किया जिसमें मरीज होश में रहते हुए भी दर्द महसूस नहीं करता।

यह ऑपरेशन शंकराचार्य अस्पताल में पहली बार इस तकनीक से किया गया। निश्चेतना विभाग के प्रोफेसर डॉ. संजीव कुमार अग्रवाल, डॉ. आदित्य जैन, पीजी स्टूडेंट्स डॉ. अमन सोनी एवं डॉ. मीनाक्षी पटेल की टीम ने इस जटिल प्रक्रिया को सफलता पूर्वक अंजाम दिया। इस पूरी प्रक्रिया का संचालन विभागाध्यक्ष डॉ. रोजलिन जोहरा अली के मार्गदर्शन में हुआ।

सर्जरी विभाग की ओर से डॉ. मनीषा, डॉ. हरि महोबिया और डॉ. रूप नारायण की टीम ने ऑपरेशन को अंजाम दिया, जिसका नेतृत्व सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. तरुण नायक ने किया।

डॉक्टरों के अनुसार, इस पद्धति से न केवल मरीज को कम जोखिम होता है, बल्कि जनरल एनेस्थीसिया की तुलना में खर्च भी कम आता है। इस सफलता ने अस्पताल की तकनीकी दक्षता और उपचार पद्धति को एक नई ऊँचाई दी है।