दुर्ग की सड़कों पर जानलेवा मवेशियों का कब्जा, अरुण वोरा बोले— अब प्रशासन को नींद से जागना होगा
पूर्व विधायक ने मोहन नगर क्षेत्र में मवेशियों की वजह से बढ़ रही दुर्घटनाओं पर जताई चिंता, कहा— यह पूरे शहर की विकराल होती समस्या

दुर्ग शहर की सड़कों पर अनियंत्रित मवेशियों की बढ़ती मौजूदगी अब आम जनता की जान पर बन आई है। इसी गंभीर विषय को लेकर पूर्व विधायक अरुण वोरा ने वार्ड 13 का दौरा किया और खुद तस्वीरें खींचकर प्रशासन की लापरवाही को उजागर किया। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जल्द कदम नहीं उठाया गया, तो जन आक्रोश सड़कों पर उतर सकता है।
दुर्ग. दुर्ग शहर इन दिनों आवारा मवेशियों के कारण जानलेवा हादसों का गवाह बनता जा रहा है। गुरुवार को पूर्व विधायक अरुण वोरा ने वार्ड 13, मोहन नगर का दौरा कर सड़कों की स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने देखा कि कैसे मवेशी सड़कों के बीचोबीच बैठे हैं और वाहनों की आवाजाही को बाधित कर रहे हैं, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बना हुआ है।
वोरा ने अपने मोबाइल से मवेशियों की तस्वीरें खींचीं और सोशल मीडिया पर साझा करते हुए लिखा —
"ये संकट केवल एक वार्ड तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे दुर्ग शहर में यही हाल है। कुत्ते और मवेशी सड़कों पर आतंक मचा रहे हैं और प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है।"
उन्होंने कहा कि यह स्थिति न केवल नागरिकों के लिए खतरा है, बल्कि मवेशियों के जीवन के लिए भी घातक बन रही है।
इस मुद्दे के बीच अब जनता को पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की जनकल्याणकारी योजनाएं याद आने लगी हैं — विशेष रूप से "नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी" योजना और गौठान परियोजना, जिसके तहत गांवों में मवेशियों के लिए समर्पित आश्रय स्थल बनाए गए थे। इन योजनाओं का यदि निरंतर क्रियान्वयन होता, तो आज शहरों की यह दुर्दशा न होती।
नागरिकों के बीच यह सवाल गूंज रहा है:
"क्या विकास केवल विज्ञापनों में है? धरातल पर इसका कोई असर क्यों नहीं दिखता?"
अरुण वोरा ने नगर निगम और जिला प्रशासन को आड़े हाथों लेते हुए चेतावनी दी कि यदि शीघ्र समाधान नहीं निकाला गया, तो जनता खुद आंदोलन के लिए मजबूर होगी।
"अब प्रशासन को जागना ही होगा, ये चुप्पी और लापरवाही अब और बर्दाश्त नहीं की जाएगी।" — उन्होंने दो टूक कहा।