पंडवानी लोकगायिका तीजन बाई पद्म विभूषण, दो साल से लकवाग्रस्त, 8 माह से नहीं मिल रही पेंशन
88 दिन में भी दुर्ग से 40 किमी रायपुर नहीं पहुंच सका आवेदन
भिलाई। पंडवानी गायन से देश-दुनिया में छत्तीसगढ़ और भारत का मान बढ़ाने वाली तीजन दो साल से बीमार और बिस्तर पर हैं। बिस्तर से उठ पाने और बोलने में भी असमर्थ तीजन ने बहू वेणु द्वारा हाथ से लिखे आवेदन पर अंगूठा लगाकर तस्दीक की।
“ ‘मैं तीजन बाई पद्म विभूषण दो साल से लकवाग्रस्त हूं। चलने में, बोलने में असमर्थ हूं। 78 साल की हो चुकी हूं। मैंने संस्कृति विभाग से बीमारी के इलाज से संबंधित 88,000 रुपए की सहायता राशि एवं पेंशन के लिए आवेदन किया है। परंतु अभी तक मुझे दोनों ही नहीं मिली हैं। कृपया मुझे जल्द सहायता राशि व पेंशन दिलाने की कृपा करेंगे।’’
यह आवेदन 10 दिसंबर को तीजन बाई ने उनके निवास में आए संस्कृति विभाग रायपुर के असिस्टेंट ग्रेड-2 राबर्टसन दास को दिया। पंडवानी गायन से देश-दुनिया में छत्तीसगढ़ और भारत का मान बढ़ाने वाली तीजन दो साल से बीमार और बिस्तर पर हैं। बिस्तर से उठ पाने और बोलने में भी असमर्थ तीजन ने बहू वेणु द्वारा हाथ से लिखे आवेदन पर अंगूठा लगाकर तस्दीक की।
संस्कृति विभाग की ओर से आए प्रतिनिधियों ने अब तक तीजन के इलाज में हुए खर्च की जानकारी बहू वेणु से ली। इसके बाद दवाई खरीदी का ओरिजनल बिल मांगा। प्रक्रिया के तहत इलाज करने वाले डॉक्टर की मेडिकल रिपोर्ट, आय प्रमाण-पत्र, शपथ-पत्र एवं अन्य जरूरी दस्तावेज तैयार रखने की जानकारी दी। यह भी बताया कि कलाकार पति-पत्नी या अकेले होने पर आय सीमा 70 हजार एवं आश्रित पुत्र-पुत्री होने पर अधिकतम 1.5 लाख रुपए वार्षिक से अधिक नहीं होनी चाहिए।
सरकार और प्रशासन को तीजन बाई की कितनी सुध है, इसका अंदाजा इसी से लगता है कि इलाज-पेंशन के लिए 3 महीने में दूसरी बार उन्हें प्रशासन और सरकार के सामने गिड़गिड़ाना पड़ रहा है। 13 सितंबर को भी तीजन ने कलेक्टर से मदद की गुहार लगाने का आवेदन दिया था। वह भी 40 किमी दूर रायपुर स्थित संचालनालय संस्कृति विभाग नहीं पहुंचा है। इस वजह से घोर आर्थिक संकट से जूझ रही हूं। इलाज परिजन, दिल्ली (संगीत नाटक अकादमी) और कलाकारों के सहयोग से बमुश्किल से हो रहा है। वर्तमान में मैं पुत्र की मृत्यु के बाद दामाद (बेटी की मृत्यु) के सहारे उनके घर पर आश्रित हूं। इलाज में उनकी भी जमा पूंजी खर्च हो गई है। अब वह दवाइयां खरीदने व इलाज कराने में असमर्थ हैं।
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