बिना तारीख वाले पानी के पाउच से सेहत पर संकट, प्रशासन मौन

दुर्ग-भिलाई क्षेत्र में बिना पैकिंग और एक्सपायरी डेट वाले वाटर पाउच की खुलेआम बिक्री, प्रशासन बना मौन दर्शक

बिना तारीख वाले पानी के पाउच से सेहत पर संकट, प्रशासन मौन

दुर्ग और आसपास के क्षेत्रों में गर्मी के मौसम में पानी की बढ़ती मांग के बीच लोगों को राहत देने की बजाय खतरे परोसा जा रहा है। शहर में बड़ी संख्या में ऐसे पानी के पाउच खुलेआम बिक रहे हैं जिन पर न तो निर्माण तिथि है और न ही समाप्ति तिथि। न कोई ब्रांडिंग, न निर्माता की जानकारी — ऐसे में ये पाउच कानून की अनदेखी के साथ-साथ लोगों की सेहत के लिए गंभीर खतरा बन गए हैं।

दुर्ग. दुर्ग और इसके आसपास के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों बाजारों, ठेलों और सार्वजनिक कार्यक्रमों में बड़े पैमाने पर ऐसे पानी पाउच बेचे जा रहे हैं जिन पर कोई वैध जानकारी नहीं दी गई है। न निर्माण तिथि, न समाप्ति तिथि, न निर्माता का नाम और न ही गुणवत्ता का कोई संकेत — इन तथाकथित पेयजल पाउचों को धड़ल्ले से बेचा जा रहा है।

इन पारदर्शी पाउचों में न तो किसी मान्यता प्राप्त ब्रांड की मुहर होती है और न ही FSSAI के दिशा-निर्देशों के अनुसार जरूरी सूचना। इससे यह स्पष्ट होता है कि न तो इनकी गुणवत्ता सुनिश्चित है और न ही उपयोग की वैधता।

खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम (FSSAI) के मुताबिक: हर पेयजल पैकिंग पर निर्माण और समाप्ति तिथि अंकित होना अनिवार्य है, निर्माता का नाम, लाइसेंस नंबर और गुणवत्ता संकेत अनिवार्य होते हैं, लेकिन स्थानीय प्रशासन और खाद्य सुरक्षा विभाग की निष्क्रियता के चलते यह अनियमित कारोबार तेजी से फैलता जा रहा है।

चिकित्सकों का कहना है कि बिना प्रमाणिकता के पानी पीने से संक्रमण, पेट संबंधी बीमारियां, उल्टी-दस्त और पीलिया जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जो विशेष रूप से गर्मी के मौसम में घातक रूप ले सकती हैं। स्थानीय नागरिकों ने इस अव्यवस्था पर नाराजगी जताते हुए तत्काल छापेमारी और कठोर कार्रवाई की मांग की है। एक जागरूक नागरिक ने कहा, “हम ये सोचकर पानी खरीदते हैं कि पैक्ड है तो साफ होगा, लेकिन जब उस पर कोई जानकारी ही नहीं दी गई है तो उसकी शुद्धता पर कैसे भरोसा करें?”

खाद्य विभाग और नगर निगम की ओर से अब तक इस गंभीर विषय पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई, तो आने वाले दिनों में यह एक बड़े स्वास्थ्य संकट का रूप ले सकता है।