बिना बीईओ के चल रहा धमधा शिक्षा विभाग, दो वर्षों से लटकी है स्थायी नियुक्ति
277 स्कूलों की जिम्मेदारी प्रभारी के हवाले, गुणवत्ता और निगरानी में भारी गिरावट

धमधा ब्लॉक, जो दुर्ग जिले के प्रमुख शिक्षा क्षेत्रों में गिना जाता है, पिछले दो वर्षों से विकासखंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) की नियमित नियुक्ति से वंचित है। शिक्षा विभाग की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी फिलहाल एक प्रभारी अधिकारी के कंधों पर टिकी है, जिससे न सिर्फ विभागीय कार्यों में ढिलाई आई है, बल्कि पूरे ब्लॉक की शिक्षा गुणवत्ता भी प्रभावित हुई है।
धमधा । धमधा ब्लॉक, जो दुर्ग जिले का एक प्रमुख शिक्षा क्षेत्र है, पिछले दो वर्षों से प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार बना हुआ है। यहां लगभग 277 शासकीय स्कूल संचालित होते हैं, जिनमें प्राथमिक, माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक विद्यालय शामिल हैं। इतने बड़े ब्लॉक की शिक्षा व्यवस्था बिना एक स्थायी विकासखंड शिक्षा अधिकारी (BEO) के संचालित हो रही है, जिससे विभागीय कार्यों की गुणवत्ता पर प्रतिकूल असर पड़ा है।
पूर्व BEO श्री डहरिया के सेवानिवृत्त होने के बाद से आज तक किसी स्थायी अधिकारी की नियुक्ति नहीं की गई है। फिलहाल तीन एबीओ में से वरिष्ठ अधिकारी कैलाश साहू को प्रभारी के तौर पर नियुक्त किया गया है, लेकिन स्थायी नेतृत्व के अभाव में विभाग ठोस निर्णय लेने से वंचित रह रहा है।
इधर, सरकार द्वारा लागू युक्तियुक्तकरण नीति के विरोध में शिक्षक धरना प्रदर्शन कर रहे हैं, तो कई स्कूलों में शिक्षकों की कमी के चलते पढ़ाई बाधित है। कुछ स्थानों पर बच्चों ने भी स्कूलों की अव्यवस्था को लेकर विरोध दर्ज कराया है।
आखिर क्यों नहीं हो रही बीईओ की नियुक्ति?
स्थानीय लोगों के मन में यह बड़ा सवाल है कि आखिरकार शिक्षा जैसे गंभीर और संवेदनशील विभाग में दो वर्षों से केवल प्रभारी के भरोसे काम क्यों चलाया जा रहा है। क्या प्रशासन इस जिम्मेदारी को हल्के में ले रहा है?
शिक्षा व्यवस्था में सख्ती और निरीक्षण की दरकार
277 स्कूलों में से आधे से अधिक स्कूलों की स्थिति चिंताजनक बताई जा रही है। मिड डे मील योजना भी कागजी खानापूर्ति बनकर रह गई है। नियमित निरीक्षण न होने से न भोजन की गुणवत्ता सुधर रही है, न शिक्षा की। अधिकारी कभी-कभार निरीक्षण करें भी तो वह भी औपचारिकता से आगे नहीं बढ़ता।