दुर्ग में रक्षाबंधन पर्व का अनूठा उत्सव: सैनिकों, पुलिसकर्मियों और वृक्षों को बांधे जाएंगे रक्षा सूत्र

6 से 9 अगस्त तक महिला संगठनों का साझा आयोजन, स्वच्छता कर्मियों से लेकर बंदियों और पीपल-बरगद के वृक्षों तक बहनें बांधेंगी रक्षा सूत्र

दुर्ग में रक्षाबंधन पर्व का अनूठा उत्सव: सैनिकों, पुलिसकर्मियों और वृक्षों को बांधे जाएंगे रक्षा सूत्र

भारतीय संस्कृति की आत्मा से जुड़ा रक्षाबंधन पर्व इस बार दुर्ग जिले में सामाजिक सरोकार और पर्यावरण संरक्षण का संदेश लेकर आएगा। महिला समितियों और स्वयं सहायता समूहों द्वारा 6 से 9 अगस्त तक जिलेभर में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिसमें सैनिकों, पुलिसकर्मियों, स्वच्छता कर्मियों और वृक्षों को बहनें रक्षा सूत्र बांधकर सम्मान और संरक्षण का प्रतीक प्रस्तुत करेंगी।

दुर्ग. दुर्ग जिले में रक्षाबंधन महापर्व को सामाजिक एवं राष्ट्रवादी भावना के साथ मनाने की तैयारियां पूरी हो गई हैं। भारतीय संस्कृति की मूल भावना के अनुरूप, इस वर्ष रक्षाबंधन को समर्पित एक विशेष श्रृंखला 6 अगस्त से 9 अगस्त तक आयोजित की जा रही है, जिसमें महिला संगठन एवं स्वयं सहायता समूह मिलकर अनूठे आयोजनों को अंजाम देंगे।

आयोजन की प्रमुख संयोजिका, भाजपा नेत्री एवं शिव शक्ति महिला समिति की अध्यक्षा सुश्री नीति चौरसिया ने बताया कि इस वर्ष रक्षा सूत्र बांधने का दायरा समाज के उन सभी वर्गों तक पहुंचाया गया है, जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से देश और समाज की सेवा कर रहे हैं।

इस विशेष आयोजन की शुरुआत 6 अगस्त को सुबह 11 बजे दुर्ग केंद्रीय जेल में बंदी भाइयों को रक्षा सूत्र बांधकर की जाएगी।
7 अगस्त को दोपहर 12 बजे लोकांगन प्रांगण में स्वच्छता कर्मियों को सम्मानपूर्वक रक्षा सूत्र बांधे जाएंगे।
8 अगस्त को शाम 5:30 बजे महिला थाना परिसर में पुलिस कर्मियों को रक्षा सूत्र बांधने का कार्यक्रम रखा गया है।
9 अगस्त को प्रातः 9 बजे से पीपल, बरगद व नीम जैसे वायुप्रदायक वृक्षों को रक्षा सूत्र बांधकर पर्यावरण रक्षा का संदेश दिया जाएगा।

इसके अतिरिक्त बीएसएफ रिसाली हेडक्वार्टर में सैनिकों और अधिकारियों को सामूहिक रूप से रक्षा सूत्र बांधने का आयोजन 8 अगस्त को सुबह 11 बजे रखा गया है। आयोजन समिति ने इस कार्यक्रम में अधिक से अधिक लोगों से शामिल होने की अपील की है।

9 अगस्त की शाम 6 से 9 बजे तक सेक्टर-9 और डीसी चौक स्थित हनुमान मंदिर में 'धर्म रक्षा सूत्र' का आयोजन होगा, जिसमें भाई-बहनों के बीच पारंपरिक रक्षा सूत्र बांधने की परंपरा निभाई जाएगी। इस बार का रक्षाबंधन केवल भाई-बहन के पारंपरिक रिश्ते तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह समाज, राष्ट्र और प्रकृति की रक्षा का संकल्प बनकर सामने आएगा।