मजदूरी से कारोबार तक: खेमीन दीदी बनीं सशक्त महिला उद्यमिता की मिसाल
‘बिहान’ योजना के तहत शुरू किया सेट्रींग प्लेट निर्माण का कार्य; अब 3000 वर्गफुट प्लेट्स के साथ 3.60 लाख रुपये सालाना कमा रहीं

छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले की खेमीन निर्मलकर ने मेहनत, आत्मविश्वास और सरकारी योजनाओं के सहयोग से अपनी ज़िंदगी की दिशा ही बदल दी। कभी गांव में मजदूरी कर गुजारा करने वाली खेमीन आज सफल महिला उद्यमी बन चुकी हैं। उन्होंने सेट्रींग प्लेट निर्माण के जरिये न सिर्फ अपनी आमदनी बढ़ाई, बल्कि कई अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन गईं।
दुर्ग। दुर्ग जिले के ग्राम पंचायत रिसामा की रहने वाली खेमीन निर्मलकर की कहानी उन लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणा है, जो आत्मनिर्भर बनने की राह पर हैं। कभी मजदूरी करने वाली खेमीन आज कल्याणी स्व सहायता समूह की सक्रिय सदस्य और सचिव के रूप में काम करते हुए सफल उद्यमी बन चुकी हैं।
छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन ‘बिहान’ से जुड़कर खेमीन ने अपने जीवन की दिशा बदली। शुरुआत में परिवार की मासिक आमदनी महज़ 8,000 रुपये थी। लेकिन समूह से 2.5 लाख रुपये का ऋण और एक लाख रुपये की स्वयं की पूंजी लगाकर उन्होंने 2000 वर्गफुट सेट्रींग प्लेट निर्माण का कार्य शुरू किया।
अच्छी गुणवत्ता और समय पर डिलीवरी के चलते उनकी सेवाओं की मांग लगातार बढ़ी। इस वर्ष खेमीन दीदी ने मुनाफे से 1000 वर्गफुट और प्लेट्स जोड़कर कुल 3000 वर्गफुट प्लेट्स का स्टॉक तैयार कर लिया है। अब तक उनकी प्लेट्स 100 से अधिक प्रधानमंत्री ग्रामीण आवासों और 100 निजी निर्माण कार्यों में उपयोग हो चुकी हैं।
उनके मुताबिक, हर 1000 वर्गफुट प्लेट से 12,000 रुपये की शुद्ध आमदनी होती है। वर्तमान में वे हर महीने 36,000 रुपये कमा रही हैं और वर्ष भर में लगभग 3.60 लाख रुपये की आय हो रही है।
दूसरों की राह भी की रौशन
खेमीन दीदी आज सिर्फ रिसामा तक सीमित नहीं हैं। वे अपने उत्पाद दुर्ग जिले के चंदखुरी, उतई, अंडा, मचांदुर, चिरपोटी से लेकर बालोद जिले के ओटेबंद, पांगरी, सुखरी जैसे गांवों तक पहुँचा रही हैं। उनकी योजना है कि वे अपने कार्यक्षेत्र को 3000 से बढ़ाकर 5000 वर्गफुट तक करें, जिससे अन्य महिलाओं को भी काम के अवसर मिलें।