खरीफ 2025: दुर्ग संभाग में खाद की 80% आपूर्ति सुनिश्चित, धान रोपाई जोरों पर
अच्छी बारिश के बीच कृषि विभाग की सतत निगरानी, किसानों को वैकल्पिक उर्वरक अपनाने की सलाह

दुर्ग संभाग में खरीफ 2025 की खेती अपने चरम पर है। समय पर हुई अच्छी बारिश के चलते बोनी का कार्य लगभग पूरा हो चुका है और अब धान की रोपाई जोरों पर है। ऐसे समय में खाद और बीज की सुचारू आपूर्ति को लेकर कृषि विभाग पूरी सक्रियता से जुटा हुआ है। अब तक मांग के मुकाबले 80% उर्वरक किसानों तक पहुंच चुका है।
दुर्ग, 19 जुलाई 2025 | खरीफ सीजन 2025 के लिए दुर्ग संभाग के किसानों को राहत भरी खबर है। इस बार मानसून की मेहरबानी से जहां खेतों में बुआई और रोपाई समय पर हो रही है, वहीं कृषि विभाग ने उर्वरकों की आपूर्ति भी सुनिश्चित कर दी है। अप्रैल से 18 जुलाई तक की अवधि में 80% खाद किसानों को वितरित की जा चुकी है।
संयुक्त संचालक कृषि के अनुसार, 272519 मीट्रिक टन कुल मांग के विरुद्ध 216908 मीट्रिक टन खाद पहले ही वितरित की जा चुकी है। मार्कफेड के माध्यम से यूरिया, डीएपी, एसएसपी, एनपीके और पोटाश का भंडारण डबल लॉक केंद्रों और सहकारी समितियों में किया गया है। आगामी दो-तीन दिनों में लगभग 6,500 मी. टन खाद की नई खेप रेक के माध्यम से पहुँचने वाली है।
इस बार डीएपी की सीमित उपलब्धता को देखते हुए किसानों को एसएसपी और एनपीके जैसे वैकल्पिक उर्वरकों को अपनाने की सलाह दी जा रही है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय की सिफारिशों पर आधारित पोस्टर, बैनर और प्रचार सामग्री सहकारी समितियों में लगाए गए हैं। वैज्ञानिक संतुलन को ध्यान में रखते हुए किसानों को नैनो यूरिया और नैनो डीएपी जैसे आधुनिक विकल्प भी दिए जा रहे हैं।
विभाग द्वारा बताया गया कि एक बोरी डीएपी (1350 रु.) की जगह 20 किलो यूरिया और 75 किलो एसएसपी (कुल लागत 892 रु.) से समान पोषक तत्व मिल सकते हैं, जिससे किसानों को आर्थिक लाभ भी होगा। खाद की कालाबाजारी पर सख्त कार्रवाई करते हुए विभाग ने 19 विक्रय केन्द्रों पर प्रतिबंध, 3 का लाइसेंस निलंबित और 1 का लाइसेंस रद्द किया है। कृषि विभाग के मैदानी अमले और उर्वरक निरीक्षक लगातार निरीक्षण अभियान चला रहे हैं, ताकि किसानों को समय पर और सही मात्रा में खाद मिल सके।