प्रकृति की गोद में गूंजे काव्य स्वर, मुक्तकंठ समिति ने की मासिक गोष्ठी
हरियाली से आच्छादित पार्क में कवियों ने किया काव्यपाठ, शांतिनिकेतन की तर्ज़ पर हुआ आयोजन

भिलाई के निवास पार्क में रविवार को मुक्तकंठ साहित्य समिति के तत्वावधान में मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। हरियाली और खुले आसमान के बीच साहित्यप्रेमियों ने प्रकृति की छांव में कविताएं सुनाईं और साहित्य पर विमर्श किया। इस अनूठे आयोजन में समिति के कई वरिष्ठ साहित्यकारों ने भागीदारी निभाई।
भिलाई/दुर्ग। मुक्तकंठ साहित्य समिति द्वारा रविवार को भिलाई निवास के पार्क में शांतिनिकेतन की शैली में मासिक काव्य गोष्ठी और साहित्य चर्चा का आयोजन किया गया। आयोजन का उद्देश्य प्रकृति की गोद में साहित्य का आनंद लेना और रचनात्मकता को खुले वातावरण में प्रोत्साहित करना था।
कार्यक्रम में समिति के अध्यक्ष गोविंद पाल, महासचिव नरेंद्र कुमार सिक्केवाल, उपाध्यक्ष शीशलता शालू, कोषाध्यक्ष प्रकाश मंडल, संरक्षक बृजेश मल्लिक, प्रचार सचिव डॉ. नौशाद सिद्दीकी, और कार्यकारिणी के अन्य सदस्यगण उपस्थित थे। काव्यपाठ करने वालों में वासुदेव भट्टाचार्य, शमशीर शिवानी, जाविद हसन, सिद्धार्थ चटर्जी, विपुल सेन, संतोष जाटव, शंकर भट्टाचार्य, एवं अन्य कविगण सम्मिलित थे। शीशलता शालू ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए समस्त कवियों को काव्यपाठ हेतु आमंत्रित किया। धन्यवाद ज्ञापन समिति के कोषाध्यक्ष प्रकाश चन्द्र मंडल ने किया।
अंत में महासचिव नरेंद्र कुमार सिक्केवाल एवं अध्यक्ष गोविंद पाल ने घोषणा की कि समिति की मासिक काव्य गोष्ठी अब हर महीने के द्वितीय रविवार को नियमित रूप से आयोजित की जाएगी। उन्होंने सभी सदस्यों से अनुरोध किया कि वे निरंतर सक्रिय सहभागिता निभाते रहें और मुक्तकंठ को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाएं।