छत्तीसगढ़ में कड़ाके की ठंड का असर, सांस फूलने और लो ऑक्सीजन वाले मरीज बढ़े

छत्तीसगढ़ में कड़ाके की ठंड का असर, सांस फूलने और लो ऑक्सीजन वाले मरीज बढ़े

रायपुर राजधानी समेत प्रदेश में पड़ रही कड़ाके की ठंड से लोगों की सांसें फूलने लगी हैं। ऐसे मरीजों का ऑक्सीजन सेचुरेशन भी कम होने लगा है।

छत्तीसगढ़ के रायपुर राजधानी समेत प्रदेश में पड़ रही कड़ाके की ठंड से लोगों की सांसें फूलने लगी हैं। ऐसे मरीजों का ऑक्सीजन सेचुरेशन भी कम होने लगा है। कुछ लोगों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ रही है। इनकी संख्या 5 से 10 है। डॉक्टरों के अनुसार ओपीडी में ऐसे मरीजों की संख्या 20 फीसदी के आसपास है।

 

जिन मरीजों की सांसें फुल रही हैं, ऐसे मरीजों में उम्रदराज के अलावा 45 वर्ष या इससे अधिक उम्र के लोग शामिल हैं। डॉक्टरों के अनुसार ऐसे मरीजों में स्थानीय के अलावा रेफरल भी हैं। खासकर उत्तर छत्तीसगढ़ के विभिन्न इलाकों से। पिछले साल सरकारी व निजी अस्पतालों में रोजाना 200 मरीज आ रहे थे। इस बार डेढ़ गुना हो गई है।

ओपीडी में ऐसे 20% से ज्यादा मरीज

आंबेडकर अस्पताल समेत निजी चिकित्सालयों के चेस्ट, पीडियाट्रिक व मेडिसिन विभाग में सीजनल बीमारी से पीड़ित मरीजों का इलाज किया जा रहा है। इनमें सर्दी, खांसी, बुखार, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस वाले मरीज भी हैं। ठंड में प्रदूषण बढ़ने से अस्थमा व एलर्जी वाले मरीजों की परेशानी बढ़ जाती है।

राजधानी में बढ़ती ठंड व वायु प्रदूषण के कारण ओपीडी व आईपीडी में सांस लेने में तकलीफ वाले मरीजों की संख्या काफी बढ़ गई है। राजधानी का न्यूनतम तापमान 13 डिग्री पर आ गया है। जबकि उत्तरी इलाके में पारा 5 डिग्री पर आ गया है।

सर्दी में ये सावधानियां बरतें

घर से बाहर निकलते समय मॉस्क पहनें, ताकि वायु प्रदूषण से बचा जा सके।

घर में एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें, जिससे हवा में मौजूद प्रदूषक हट सके।

धूम्रपान से बचने से फेफड़ों की बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।

नियमित व्यायाम व योग करने से भी फेफड़ों की क्षमता में सुधार होता है।

सांस लेने में तकलीफ होती है, तो तुरंत विशेषज्ञ डॉक्टर से संपर्क करें।

सुबह धूप निकलने के बाद ही गार्डन जाएं या मार्निंग वॉक करें।

बुजुर्ग, नवजात व छोटे बच्चों को गर्म कपड़े पहनाकर बाहर ले जाएं।