खास खबर: 9 जुलाई को देशव्यापी मजदूर हड़ताल का एलान, श्रमिकों की मांगों को लेकर सड़कों पर उतरेंगी ट्रेड यूनियनें
श्रम संहिताओं की वापसी, निजीकरण पर रोक और न्यूनतम वेतन ₹26,000 की मांग इंटक, एटक, सीटू सहित दस केंद्रीय यूनियनों का संयुक्त आह्वान
देश की 10 प्रमुख केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और स्वतंत्र फेडरेशनों ने केंद्र सरकार की कथित जनविरोधी और मजदूर-विरोधी नीतियों के खिलाफ 9 जुलाई 2025 को देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है। संगठनों का कहना है कि सरकार की नीतियां श्रमिकों के अधिकारों और रोज़गार को कमजोर कर रही हैं। हड़ताल का उद्देश्य श्रमिकों के मूल अधिकारों की रक्षा और असंगठित श्रमिकों को न्याय दिलाना है।
भिलाई। देशभर में मजदूर संगठनों ने 9 जुलाई को व्यापक हड़ताल का एलान किया है। केंद्र सरकार की श्रम संहिताओं, सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण और अस्थायी रोजगार के बढ़ते चलन के विरोध में यह हड़ताल आयोजित की जा रही है। ट्रेड यूनियन नेताओं का कहना है कि यह केवल हड़ताल नहीं, बल्कि श्रमिक वर्ग के अस्तित्व और सम्मान की लड़ाई है।
संयुक्त ट्रेड यूनियनों की प्रमुख मांगों में चारों श्रम संहिताओं की तत्काल वापसी, सभी रिक्त सरकारी पदों पर स्थायी नियुक्ति, ठेका प्रथा पर रोक, न्यूनतम वेतन ₹26,000 प्रतिमाह, और ₹9,000 न्यूनतम पेंशन जैसे मुद्दे शामिल हैं। साथ ही EPFO पेंशन सुधारों में न्याय, ग्रेच्युटी पर ऊपरी सीमा समाप्त करने और ठेका श्रमिकों को समान वेतन व सुविधाएं देने की मांग भी प्रमुख है।
प्रमुख मांगें:
- श्रम संहिताओं को रद्द किया जाए
- सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण रोका जाए
- ठेका प्रथा समाप्त कर सभी पदों पर स्थाई नियुक्तियां की जाएं
- न्यूनतम वेतन ₹26,000 और न्यूनतम पेंशन ₹9,000 सुनिश्चित हो
- EPFO पेंशन में उच्च पेंशन का लाभ सभी को मिले
- 39 माह का बकाया एरियर भुगतान हो
- शिक्षा, स्वास्थ्य और जल जैसी बुनियादी सुविधाएं सबको दी जाएं
- आवश्यक वस्तुओं से GST हटे और महंगाई पर लगाम लगे
संयुक्त यूनियन ने चेताया कि यदि सरकार श्रमिकों की आवाज को नहीं सुनेगी, तो यह हड़ताल देशभर में जनांदोलन का रूप ले सकती है। संगठनों ने कर्मचारियों, ठेका श्रमिकों, योजनाकर्मियों, किसान मजदूरों और असंगठित क्षेत्र के कामगारों से 9 जुलाई को पूरी ताकत के साथ हड़ताल में शामिल होने की अपील की है।
"मजदूर एकता जिंदाबाद", "संघर्ष ही समाधान है", "निजीकरण बंद करो", "समान काम–समान वेतन लागू करो" – इन नारों के साथ देश भर में श्रमिक सड़क पर उतरने की तैयारी में हैं।