बरसात में बिजली बनी खतरा: दुर्ग विद्युत कंपनी ने किया नागरिकों को सतर्क
बिजली विभाग ने जारी की सुरक्षा एडवाइजरी | करंट से बचाव के लिए दी अहम सावधानियां | बारिश से पहले सभी फीडरों व ट्रांसफार्मरों की हो चुकी है जांच

बरसात के मौसम में करंट लगने की घटनाएं तेजी से बढ़ जाती हैं, जिससे जान-माल का खतरा उत्पन्न होता है। इसे देखते हुए छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (CSPDCL), दुर्ग क्षेत्र ने आम नागरिकों को सचेत करते हुए कई महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए हैं। विभाग ने साफ किया है कि थोड़ी सी लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है।
दुर्ग। मानसून के आगमन के साथ बिजली से जुड़ी दुर्घटनाओं का खतरा भी बढ़ गया है। बारिश के दौरान अक्सर करंट की चपेट में आने की घटनाएं सामने आती हैं, जिनका मुख्य कारण जागरूकता की कमी होता है। इसी को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड, दुर्ग क्षेत्र ने लोगों को सतर्क रहने की सलाह देते हुए एडवाइजरी जारी की है।
मुख्य अभियंता संजय खंडेलवाल ने कहा कि बारिश के समय बिजली के खंभों, ट्रांसफार्मरों, खुले तारों या पानी में फैले करंट से बड़े हादसे हो सकते हैं। इसलिए नागरिक विद्युत उपकरणों और लाइनों से उचित दूरी बनाए रखें। कोई भी खराबी दिखने पर तुरंत टोल फ्री नंबर 1912, "मोर बिजली" ऐप या नजदीकी जोन कार्यालय में सूचना दें।
विभाग ने बताया कि बारिश से पूर्व सभी फीडर, ट्रांसफॉर्मर और तारों की जांच की जा चुकी है, लेकिन नागरिकों की सजगता भी उतनी ही जरूरी है। बिजली से जुड़ी किसी भी समस्या का निवारण केवल अधिकृत कर्मचारियों द्वारा ही करवाएं।
बिजली से सुरक्षित रहने के लिए अपनाएं ये सावधानियां:
- खेतों या बाड़ी में कभी भी कंटीले तारों में बिजली प्रवाहित न करें। यह गैरकानूनी और खतरनाक है।
- बिजली के खंभों के पास कपड़े न सुखाएं, न ही बच्चों को वहां खेलने दें।
- क्षतिग्रस्त तार या उपकरण दिखें तो उन्हें न छुएं।
- पानी में करंट फैल सकता है, इसलिए गीले स्थानों से दूर रहें।
- हुकिंग या कटे-फटे तारों का उपयोग न करें।
यदि कोई व्यक्ति करंट की चपेट में आ जाए, तो सूखे कपड़े, लकड़ी या रस्सी की मदद से उसे अलग करें और तत्काल मेडिकल सहायता लें। संजय खंडेलवाल ने कहा कि बिजली कर्मियों को सुधार कार्यों के दौरान सहयोग दें। खराबी की स्थिति में 5-10 मिनट रुककर शिकायत करें। फॉल्ट ढूंढना आसान नहीं होता, खासकर बारिश, आंधी या रात के समय। उपभोक्ताओं की जागरूकता से दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है।