वर्षा ऋतु में बीमारियों का खतरा बढ़ा: स्वास्थ्य विभाग अलर्ट, अस्पतालों में दवाएं और बेड की व्यवस्था चाक-चौबंद
जलजनित व संक्रामक बीमारियों से बचाव को लेकर स्वास्थ्य अमला फील्ड में सक्रिय | टाइफाइड, डेंगू, मलेरिया और वायरल बुखार को लेकर एडवाइजरी जारी | मुफ्त जांच की सुविधा उपलब्ध

बरसात के मौसम में जलजनित और मच्छरजनित बीमारियों के फैलने की आशंका को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने कमर कस ली है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भिलाई-3 में हुई समीक्षा बैठक में फील्ड कर्मचारियों की तैयारी, दवा की उपलब्धता, उपकरणों और बेड की स्थिति की विस्तार से समीक्षा की गई। अधिकारियों ने लोगों से सावधानी बरतने और जागरूक रहने की अपील की है।
भिलाई-3। वर्षा ऋतु की शुरुआत के साथ ही टाइफाइड, वायरल बुखार, उल्टी-दस्त, डेंगू, मलेरिया और अन्य संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ गया है। इसे ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने पूरे अमले को अलर्ट मोड पर ला दिया है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भिलाई-3 में एक समीक्षा बैठक आयोजित की गई, जिसमें दवाओं की उपलब्धता, फील्ड स्टाफ की स्थिति, बेड की संख्या और उपकरणों की व्यवस्था की गहन समीक्षा की गई।
शहरी स्वास्थ्य कार्यक्रम के बीईईटीओ सैय्यद असलम ने बताया कि बारिश के मौसम में जलजनित और मच्छरजनित रोगों के मामलों में वृद्धि होती है। इसलिए सभी स्वास्थ्य कर्मचारियों को आवश्यक दवाएं व जांच किट मुहैया कराई गई हैं। बुखार, डेंगू और मलेरिया की त्वरित पहचान के लिए सभी केंद्रों पर जांच किट्स की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है।
खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ. भुनेश्वर कठौतिया ने कहा कि डेंगू, वायरल फीवर, टाइफाइड और गैस्ट्रो जैसे रोगों के मामले बढ़ सकते हैं। उन्होंने नागरिकों को सलाह दी कि वे उबला हुआ पानी पीएं, ताजा और गर्म भोजन का ही सेवन करें, और बासी खाद्य पदार्थों से बचें।
चिकित्सक अधिकारी डॉ. शिखर अग्रवाल ने लोगों से अपील की कि बारिश के पानी में भीगने से बचें, खुले में बिकने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन न करें क्योंकि उन पर मक्खियां और कीट बैठते हैं जो संक्रमण फैला सकते हैं। उन्होंने कहा कि फलों व सब्जियों को अच्छी तरह धोकर पकाएं और घर में बना ताजा खाना ही खाएं।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मनोज दानी ने बताया कि सभी शासकीय अस्पतालों में आवश्यक दवाएं, जीवन रक्षक दवाएं और उपकरण उपलब्ध हैं। उन्होंने लोगों से अपील की कि किसी भी बीमारी के लक्षण दिखने पर तत्काल सरकारी अस्पताल में जाकर इलाज कराएं और नीम-हकीम या झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज लेने से बचें।