न्याय की राह में जीत: बीईओ गोविंद साव का निलंबन साबित हो रहा निराधार
शिक्षिका कुमुदिनी साव को अतिशेष बताने की प्रक्रिया में त्रुटि, जिला स्तरीय समिति ने दी पुनः पदस्थापना की मंजूरी, शिक्षकों ने की बीईओ की बहाली की मांग

शासकीय विद्यालय में युक्तियुक्तकरण के तहत शिक्षिका को अतिशेष घोषित किए जाने और उस निर्णय को लेकर बीईओ दुर्ग गोविंद साव के निलंबन का मामला अब नया मोड़ लेता दिख रहा है। जिला स्तरीय समिति की हालिया सुनवाई में यह स्पष्ट हो गया है कि शिक्षिका कुमुदिनी साव को विषय चक्रानुक्रम के अनुसार अतिशेष नहीं माना जाना था। इस फैसले से न केवल निलंबन का आधार कमजोर पड़ा है, बल्कि अब शिक्षकों ने बीईओ गोविंद साव को पुनः पदस्थ करने की मांग भी उठाई है।
दुर्ग जिले में विकासखंड शिक्षा अधिकारी गोविंद साव के निलंबन का मुद्दा एक बार फिर चर्चा में है। उन्हें अपनी पत्नी, शिक्षिका कुमुदिनी साव को युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया में अतिशेष से बचाने के आरोप में 2 जून को निलंबित कर दिया गया था। यह कार्रवाई दुर्ग संभाग के आयुक्त द्वारा, कलेक्टर के प्रतिवेदन के आधार पर की गई थी। परंतु अब पूरे प्रकरण को लेकर नया तथ्य सामने आया है।
कुमुदिनी साव ने न्यायालय का रुख करते हुए युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया में हुई त्रुटियों को चुनौती दी थी। इसके पश्चात 2 जुलाई को जिला स्तरीय समिति ने समक्ष सुनवाई की, जिसमें उन्होंने सभी दस्तावेजों और साक्ष्यों का परीक्षण किया। समिति ने पाया कि शासन के विषय चक्रानुक्रम के अनुसार कला विषय से दो कनिष्ठ शिक्षकों को अतिशेष माना जाना था, न कि हिन्दी विषय की शिक्षिका कुमुदिनी साव को। उनकी पदोन्नति हिन्दी/संस्कृत विषय में हुई थी, और विद्यालय में गणित विषय का शिक्षक न होने के कारण हिन्दी विषय की आवश्यकता बनी रहती है।
समिति की सिफारिश के आधार पर कुमुदिनी साव को पुनः उनके पुराने विद्यालय शा.पू.मा.वि. सेक्टर-9 भिलाई में पदस्थापित कर दिया गया है। इस निर्णय ने बीईओ गोविंद साव पर लगे आरोपों को लगभग निराधार सिद्ध कर दिया है।
अब शिक्षक समुदाय यह मांग कर रहा है कि बीईओ गोविंद साव के साथ न्याय हो और उन्हें तत्काल प्रभाव से पुनः उनके पद पर बहाल किया जाए। उनका मानना है कि यदि निलंबन का आधार ही गलत साबित हो रहा है, तो उनके खिलाफ की गई प्रशासनिक कार्रवाई भी तत्काल वापस ली जानी चाहिए।